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सांध्य तारा | एडगर ऐलन पो

सांध्य तारा | एडगर ऐलन पो सांध्य तारा | एडगर ऐलन पो गर्मियों की दोपहर थी,और आधी रात का समय;और तारे अपनी कक्षाओं में,चमकते थे पीले सेउज्जवल, शीतल चंद्रमा की चाँदनी में,जो था अपने दास ग्रहों के बीच,स्वयं आकाश में,लहरों पर थी उसकी किरणें।मैंने ताका कुछ पलउसकी सर्द मुस्कान को;उदासीन, बहुत ही भावहीन लगी मुझेउधर […]