वचन दे गया वह | धनंजय सिंह वचन दे गया वह | धनंजय सिंह कल जीवन नेमुझसे मेरे सपने माँगेमैं क्या करता दे दिए उसेबदले में साँस-साँस की जलन दे गया वह। हर किरण सबेरा लिएक्षितिज तक आती हैपर्वत झरनों, नदियों परप्यार लुटाती हैमैं जब तक सोचूँउससे आँखें चार करूँवह निमिष मात्र मेंदिव्य लोक उड़ […]
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मौन की चादर | धनंजय सिंह
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मन हठयोगी बैठ गया है | धनंजय सिंह
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मन की गहरी घाटी में | धनंजय सिंह
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मैं कैसे बताऊँ | धनंजय सिंह
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भूल बैठे हम | धनंजय सिंह
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निकल आए हम | धनंजय सिंह
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