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हर कोई खुद को मारने पर उतारू है | बाबुषा कोहली

हर कोई खुद को मारने पर उतारू है | बाबुषा कोहली हर कोई खुद को मारने पर उतारू है | बाबुषा कोहली कैसे कोई सत्तर दफा चढ़े-उतरे जोउम्र की सारी बारिशें नमक के टीलों में बदल जाएँकैसे कोई सत्तर गुरियों की माला पिरोएजो उम्र के सारे बसंत पानी की बूँदों में ढल जाए ऊँची शाख […]