प्रियतम से

बहुत दिनों तक हुई परीक्षा 
अब रूखा व्यवहार न हो। 
अजी, बोल तो लिया करो तुम 
चाहे मुझ पर प्यार न हो।।

जरा जरा सी बातों पर 
मत रूठो मेरे अभिमानी। 
लो प्रसन्न हो जाओ 
गलती मैंने अपनी सब मानी।।

मैं भूलों की भरी पिटारी 
और दया के तुम आगार। 
सदा दिखाई दो तुम हँसते 
चाहे मुझ से करो न प्यार।।

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