पिंजारवाड़ी | नरेंद्र जैन
पिंजारवाड़ी | नरेंद्र जैन

पिंजारवाड़ी | नरेंद्र जैन

पिंजारवाड़ी | नरेंद्र जैन

उज्जयिनी में 
एक पिंजारवाड़ी है 
पिंजारवाड़ी में 
एक उज्जयिनी भी है 
पिंजारवाड़ी से गुजरता शख्स 
अपना चेहरा छिपाकर चलता है 
पिंजारवाड़ी से गुजरता शख्स 
भूल चुका होता है 
अपनी स्त्री और बहन का चेहरा 
विक्रमादित्य अब भी गुजरता है 
जब सो रही होती है 
उज्जयिनी 
विशालकाय गनपति 
एक भयावह जम्हाई लेते हैं 
तब पिंजारवाड़ी के अंधकार में 
खुलता है एक द्वार 
और राहगीर प्रविष्ट होता है 
रोज 
काम पर जाने से पहले 
यह स्त्री 
जलाती है अगरबत्ती 
महाकाल के चित्र के सामने 
यहाँ पिंजारवाड़ी में

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