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हमारी नाव | नरेंद्र जैन

हमारी नाव | नरेंद्र जैन हमारी नाव | नरेंद्र जैन ये भाषा की थकान का दौर है विचार और स्वप्न की मृत्यु यहीं से शुरू होती है कविता जैसी भी है जहाँ भी है जितनी भी है बस डूबी है अंधकार में संवाद आधे-अधूरे गिरते लडखड़ाते हाँफते बस, थोड़ा सा संगीत है कहीं जाने कैसे वो भी बचा हुआ है निर्जन में उसी […]