पढ़ाई के दिनों में
एक लड़की हँसती हुई आई
उसके भात और चूरा* मछली-व्यंजन पर
हमारे हाथ मिलते रहे
हमने एक बेंच पर
हिंदू-क्रिश्चियन परिवार बसाए।
मैं नेरुदा की कविताएँ पढ़ता रहा
उसी बीच मेरा पहचान पत्र खो गया
मैंने देखा। पहचान पत्र देकर उसने कहा –
लाल स्याही में लिख रखा है इसमें
तेरे स्टाईपेंड लेने का हिसाब।
अब आमने-सामने बैठते-भूलते लड़का-लड़की को
मैं देखता ही नहीं।
कुछ समय बाद वे बिछुड़ जाएँगे
फिर उनके मिलने पर भी गनीमत नहीं –
उनके पहचान पत्रों पर लाल स्याही में लिखे गए
हिसाब नहीं होंगे।