नदी | ए अरविंदाक्षन नदी | ए अरविंदाक्षन हर किसी के भीतरएक नदी हैदुर्गा की तरहप्रचंड रूप धारण करती है वहउसके जल का प्रकोप है यहसरस्वती बनती हैज्ञान की गंगा बनती है वहजल-कणों सावीणा का स्वरनदी के आसपासगूँजता है