सौपर्णिका | ए अरविंदाक्षन
सौपर्णिका | ए अरविंदाक्षन सौपर्णिका | ए अरविंदाक्षन वह नदी हैशिलाखंडों के बीच प्रवहित कवितावनों के वन्य सौंदर्य से रूपायितअक्षर की देवी की समीपता से वलयितअक्षर की जल-धारासरस्वतीसौपर्णिका
सौपर्णिका | ए अरविंदाक्षन सौपर्णिका | ए अरविंदाक्षन वह नदी हैशिलाखंडों के बीच प्रवहित कवितावनों के वन्य सौंदर्य से रूपायितअक्षर की देवी की समीपता से वलयितअक्षर की जल-धारासरस्वतीसौपर्णिका
संस्कृति | ए अरविंदाक्षन संस्कृति | ए अरविंदाक्षन जल की संस्कृति कोयदि पहचानना हैनदी के बीच कीकठोर शिला पर बैठ जाओस्थिरध्यान मग्न।पहले तुमशिलावत् हो जाओगेफिर धीरे-धीरेजल तुम में समा जाएगातब तुम पहचानोगेजल और शिला के बीचसंस्कृति है
स्मृतियों के चित्र | ए अरविंदाक्षन स्मृतियों के चित्र | ए अरविंदाक्षन नदी के पास एक आईना हैस्मृतियों को प्रतिबिंबित करने वालाआईने के बारे में नदी कुछ कहती नहींवह बस, बहती रहती हैअपनी झिलमिलाहट के साथ।उस झिलमिलाती रोशनी मेंस्मृतियों के चित्रनदी के साथ प्रवाहमान हैंलेकिन कुछ चित्ररेत में चिपके हुए हैं।
सदानीरा | ए अरविंदाक्षन सदानीरा | ए अरविंदाक्षन कान्हाश्याम शिला खंड हैराधा जमुना की तरहउससे वलयित बहतीप्रेम की धारा हैप्रेम जल हैसदानीरा
स्त्री | ए अरविंदाक्षन स्त्री | ए अरविंदाक्षन स्त्रीमेरे समीप मेंमातृस्वरूपास्तनपान कराती हैऔर मेरे अंदर के जल कोअर्थ प्रदान करती है।स्त्रीमेरे निकटप्रेमस्वरूपाअपने स्तनों के बीच सुलाती हैऔर मेरे अंदर के जल कोआकार देती है।
संगीत | ए अरविंदाक्षन संगीत | ए अरविंदाक्षन मेरेरोम-रोम में संगीत है।जब बिजली कड़कती हैतो मेरा अंतर्मनमोर की तरहप्रफुल्लित हो उठता है।और नाच उठता है।
वह जल ही था | ए अरविंदाक्षन वह जल ही था | ए अरविंदाक्षन जल एक खूबसूरत सपना हैलावण्य के प्रथम स्पर्श की तरहजीवन भर साथ देने वाला जल-स्पर्शजल ही था तबलबालब भरा-सामिठास देता हुआ हृदय मेंसुगंध बिखेरता हुआ आँखों मेंजल एक खूबसूरत सपना है
वसंत | ए अरविंदाक्षन वसंत | ए अरविंदाक्षन एक नट्खट बच्ची हैवसंतहर क्षणखिलखिलाकर हँसने वालीहमारी पकड़ से छूटकरतितलियों की तरह भागने वालीरागों में हमें भिगाने वालीरंगों में डुबोने वालीखूबसूरतचंपई रंग कीस्फटिक-सी पारदर्शीसफेद बादलों-सी स्वप्निलहवा की द्रुत-मंद गति-सीसंगीतमयलयबद्ध
रंग | ए अरविंदाक्षन रंग | ए अरविंदाक्षन आसमान का नीला रंगप्रेमी-प्रेमिकाओं की तरह आह्लादितआसमान का सलेटी रंगकृषकों की आशंकाओं की तरह मायूसआसमान का काला रंगहम सबकीस्वप्नविहीनता की तरह बंद, निस्पंदबिना विलीन हुएये रंगआसमान की तरहविराट्चित्रवत्।
रक्त के पाताल की आवाजें | ए अरविंदाक्षन रक्त के पाताल की आवाजें | ए अरविंदाक्षन रक्त के पाताल में कइयों की आवाजें सोयी हुई हैंसोयी दिखती हैं ये जरूरपर हैं जागी हुईनितांत जागरितसतर्कप्राचीन इमारतों की तरह कथा-बहुलउन्मेष के वसंत की तरहसदाबहार।इन्हीं आवाजों ने हमारे गाँवों मेंआजादी का पहला शंख फूँका थासोये हुए अपने अंतपुर … Read more