नर्मदा पर मुग्धनर्मदा के किनारेएक युवती खड़ी है घुल रही हैधीरे-धीरे उसकी काया निर्मलता-कोमलताबढ़ रही है उसके भीतर भीट पर अपनी साड़ी फेंकउसने पानी पहन लिया है