मेरे रंग
मेरे रंग

तुम बार बार कपड़े बदलती हो
हर बार काले रंग पर ठहर जाती हो
एक बार घुलो तो मुझमें
कहीं तुम्हारा काला रंग मैं तो नहीं हूँ।
मेरे अक्षर
मुझे ‘न’ अक्षर से बहुत लगाव है
मेरे दोस्त मुझसे कहते है
हो सकता है इसमें तुम्हारी प्रेमिका का नाम हो
मैं कहता हूँ
न में ना है
ना से मैं नफरत तो नहीं करता, घबराता बहुत हूँ
लेकिन न में ना होता तो मुझे ‘न’ से लगाव ही नहीं होता
कहीं ऐसा तो नहीं
मैं ना करना नहीं चाहता
हाँ सहा नहीं जाता
दरअसल ‘न’ मेरी हकलाहट है
जो तुमसे जुड़कर अपना अर्थ पाना चाहती है

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