तुम आए तो
मन का उपवन
महक गया।
उड़ने लगीं
तितलियाँ सुख की,
खिले कमल
पाकर तुम्हें
थिरकता रहता
मन चंचल
प्रेम-गंध पा
मुग्ध भ्रमर-मन
बहक गया।
कुछ खुशबू,
कुछ रंग प्यार के,
गए बरस
सारा जीवन
मधुमय होकर
हुआ सरस
सुर्ख गुलाब
खिला चेहरे पर
दहक गया
तुम आए तो
मन का उपवन
महक गया।
उड़ने लगीं
तितलियाँ सुख की,
खिले कमल
पाकर तुम्हें
थिरकता रहता
मन चंचल
प्रेम-गंध पा
मुग्ध भ्रमर-मन
बहक गया।
कुछ खुशबू,
कुछ रंग प्यार के,
गए बरस
सारा जीवन
मधुमय होकर
हुआ सरस
सुर्ख गुलाब
खिला चेहरे पर
दहक गया