कहाँ है शांति का संदेश और कहाँ है अहिंसा
मानव-बुद्धि का विकास हुआ, तैयार कर दिया एटमबम
ज्ञान, विद्या की प्रगति बढ़ती गई, लेकिन हार्दिक संस्कार हुए कम
लूट-मार, द्वेष-जलन, खून-खराबा, चोर-डाकू गरीबों की बलि चढ़ा
विश्व भर में अधिक विकास हुआ फिर भी धरती पर स्वर्ग न आया
मानव-मानव के खून का प्यासा, आतंकवादियों ने की मारा-मारी
राजनीतिक लड़ाई, धर्म का झगड़ा, कोकिन चरस के बने हैं व्यवसायी।
कहाँ है अहिंसा और शांति का संदेश, केवल किताबों में लिखा पड़ा है
जो संतवाणी को गाते और बजाते हैं, वे काले धंधों में जकड़े पाए जाते हैं