एक माँ के होते | रेखा चमोली
एक माँ के होते | रेखा चमोली

एक माँ के होते | रेखा चमोली

एक माँ के होते | रेखा चमोली

दो-तीन दिन की
जोरदार बारिश और बर्फवारी के बाद
सुबह-सुबह
सड़क पर
धूप सेकती
लेटी थी कुतिया
जाने कहाँ से पाँच-छह पिल्ले आकर
उसका दूध पीने को
धक्का-मुक्की करने लगे
कुतिया ने चौंककर
पिल्लों को देखा
उनमें से एक ही उसका था
उसके पाँच पिल्लों में से एक
गाड़ी के नीचे आकर मर गया
और बाकी को
उसके मालिक ने
किसी चरवाहे को बेच दिया
कुतिया सिर घुमाकर दोबारा पसर गई
इस बार कुछ इस तरह कि
पिल्ले आराम से दूध पी सकें

See also  खामोशी | आरती

कुतिया आदमी नहीं थी
पिल्ले भी आदमी के बच्चे नहीं थे
लेकिन आसपास आदमी थे
जो यह देखकर
अपनी आदमियत पर उतर आए
और पत्थर मारकर पिल्लों को
छितरा दिया

कुतिया उठकर चल दी
पीछे-पीछे पिल्ले भी चल दिए
उन्हें पता था
एक माँ के होते
वो भूखे नहीं रह सकते।

Leave a comment

Leave a Reply