वह रोज
एक पुराने संदूक से
नए और तह किए कपड़े निकालती
थोड़ी देर उसे हाथ से सहलाने के बाद
वह सोचती कि इसे उस दिन पहनेगी
फिर उसी संदूक में आहिस्ता से
उन कपड़ों को तहाकर रख देती
जब होती कहीं आस-पड़ोस में शादी
उसको चढ़ आता है बुखार
और भयंकर दर्द से
उसकी देह ऐंठने लगती
वह सोने से पहले
हर रात देखती एक सजा घोड़ा
जो आकाश से उतरता था
और उसे बहुत दूर ले जाता था
एक दिन
उसने दर्पण में देखे
अपने सिर में कई चाँदी के तार
उस रात घोड़ों की टापों ने
उसे रौंद डाला।