साध्वी

साध्वी

हल्के रंग के परिधान मेंअपने कई हमसफरों के साथसूखी रोटी-सी मरियलपुस्तक मेले के एक साफ-सुथरे छोटे स्टाल परवह खड़ी हैशताब्दियों से उसके चेहरे पर हैन कोई कामनान कौतूहलन कोई रोमांचजैसे सूख गया हो कोई कुआँऔर छा गई हो उसके मुहाने परउदासी की घास सब कहते हैंउसे साध्वी कहती हैं उसकी आँखेंचीख-चीखकरसाध्वी नहीं, मैं एक स्त्री … Read more

संदूक

संदूक

सब कुछ छोड़ करइसे माँ साथ लाई थीअपने संस्कारों के साथ जबपहले पहल घर आई थी समय गुजर जाता है बगैर जानेइसका रंग खुरच गया है बगैर जाने माँ कहती हैपहले इसमें आभूषण और नए कपड़े थेमाँ कहती है तो शायद रहे होंगेमैंने कभी नहीं देखे थकान और पुराने कपड़ों से भरता जा रहा है … Read more

स्त्री

स्त्री

बिंदीउसके भाल परचमकती रहती हैरक्ताभ सूर्य की तरह बिंदी एक घर है‌और यह घरहर पलउसके साथ रहता है हर दिनस्नान से पूर्ववह उतार देती है बिंदीऔर चिपका देती हैस्नानगृह के दरवाजे पर फिर वह पहले जैसी नहीं रह जातीन कुछ पल पहले जैसी माँन कुछ पल पहले जैसी बहुन कुछ पल पहले जैसी पत्नी वह … Read more

रंग

रंग

यह काल की अविराम घड़ी का तेज हैया कुछ औरसृष्टि में रंगों का बढ़ता जा रहा है तेजबेस्वाद टमाटर होता जा रहा हैकुछ और लालकुछ और चटकदार उदासनिस्तेज सिकुड़ा सिकुड़ाहमारा दुख भीदिखता है जगमगछोटे रंगीन परदे पर रंगो की बढ़ती जा रही हैंलपलपाती इच्छाएँखोती जा रही है उनकी आबउनकी दीप्तिउनकी छुवन औरउनका ठाठ रंगलहरजो उठाती … Read more

पारदर्शी किला

पारदर्शी किला

यह एक पारदर्शी किला हैघंटी चीखती हैरपटता है बीड़ी बुझाकरबंद कमरे की तरफस्टूल पर बैठा आदमी घंटी इंतजार नहीं कर सकतीकर सकती है नींद हरामबिगाड़ सकती है जीवनदेर होने पर इस बंद कमरे मेंआखिर किस पर बहस होती हैअक्सर एक सुंदरी होती है वहाँएक पेंसिल और छोटी कॉपी के साथवे चाय पीते हैं हँसते हैं … Read more

तवा

तवा

यह लौटने का वक्त है एक औरत इंतजार करती हैचूल्हे के पास रखे तवे के साथ तवा ठंडा है मैं जब कोई ठंडा तवा देखता हूँकाँप उठता हूँठंडे तवे के पास फैली हैउदास खामोशी इस उदास खामोशी सेमैं निपटना चाहता हूँतवे को मैं तपता हुआ देखना चाहता हूँलेकिन यह चुनौती देता रहता हैमुझे सुबह और … Read more

जरा सा प्यार

हैंडपंप

जी हाँ, आप जरा उस बूढ़े हैंडपंप की ओर देखेंजो निराश बैठा हैउस रिहायशी इलाके मेंजहाँ घरों में समय पर आता हैनगर पालिका का पानीऔर नागरिकों की कैद रहती हैं आत्माएँउनके घरों की तरहचारदीवारी के घेरे में आप सही समझ रहे हैंमैं उसी हैंडपंप का जिक्र कर रहा हूँजहाँ अक्सर कोई नहीं जाताशायद मैं भी … Read more

चाँदी के तार

चाँदी के तार

वह रोजएक पुराने संदूक सेनए और तह किए कपड़े निकालती थोड़ी देर उसे हाथ से सहलाने के बादवह सोचती कि इसे उस दिन पहनेगीफिर उसी संदूक में आहिस्ता सेउन कपड़ों को तहाकर रख देती जब होती कहीं आस-पड़ोस में शादीउसको चढ़ आता है बुखारऔर भयंकर दर्द सेउसकी देह ऐंठने लगती वह सोने से पहलेहर रात … Read more