चाँद-किरन | देवेंद्र कुमार बंगाली
चाँद-किरन | देवेंद्र कुमार बंगाली

चाँद-किरन | देवेंद्र कुमार बंगाली

चाँद-किरन | देवेंद्र कुमार बंगाली

रूठो मत प्रान! पास में रहकर
झरती हैं चाँद-किरन झर…झर…झर…।

        सेंदुर की नदी, झील ईंगुर की
        माथे तुम्‍हारे तुम सागर की
        चूड़ी-सी चढ़कर कलाई पर
        टूटो मत प्रान! पास में रहकर
        झरती हैं चाँद-किरन झर…झर…झर…।

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        आँखों की शाख, देह का तना
        टप्-टप्-टप् महुवे का टपकना।
        मेरे हाथों हल्‍दी-सी लगकर
        छूटो मत प्रान! पास में रहकर
        झरती हैं चाँद-किरन झर…झर…झर…।

        एक घूँट जल हो तो पीये
        कब तक कोई छल में जीये
        टूटे समंदर, टूटे निर्झर
        दो मत तुम प्रान! पास में रहकर
        झरती हैं चाँद-किरन झर…झर…झर…।

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