जो है
उसकी चिंता करने की क्या जरूरत है
जैसे कि वर्तमान
जो नही है
उसे पाने की दौड़ लगाना एक वहशीपन है
जैसे की भविष्य
है और नहीं के बीच
एक तनाव है
यह उम्मीद का तनाव
और इस तनाव के साथ जीते जाने में क्या हर्ज है।
जो है
उसकी चिंता करने की क्या जरूरत है
जैसे कि वर्तमान
जो नही है
उसे पाने की दौड़ लगाना एक वहशीपन है
जैसे की भविष्य
है और नहीं के बीच
एक तनाव है
यह उम्मीद का तनाव
और इस तनाव के साथ जीते जाने में क्या हर्ज है।
गाँव बेचकर शहर खरीदा, कीमत बड़ी चुकाई है।जीवन के उल्लास बेच के, खरीदी हमने तन्हाई है।बेचा है ईमान धरम तब, घर में शानो शौकत आई है।संतोष बेच तृष्णा खरीदी, देखो कितनी मंहगाई है।। बीघा बेच स्कवायर फीट, खरीदा ये कैसी सौदाई है।संयुक्त परिवार के वट वृक्ष से, टूटी ये पीढ़ी मुरझाई है।।रिश्तों में है भरी…
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