टाटा का हँसिया | नरेंद्र जैन
टाटा का हँसिया | नरेंद्र जैन

टाटा का हँसिया | नरेंद्र जैन

टाटा का हँसिया | नरेंद्र जैन

विदिशा का लोहा बाजार जहाँ से शुरू होता है 
वहीं चौराहे पर सड़कें चारों दिशाओं की ओर 
जाती हैं 
एक बाँसकुली की तरफ 
एक स्टेशन की तरफ 
एक बस अड्डे 
और एक श्मशान घाट 
वहीं सोमवार के हाट के दिन 
सड़क के एक ओर लोहार बैठते हैं 
हँसिये, कुल्हाड़ी, सरौते और 
खुरपी लेकर 
कुछ खरीदने के लिए हर आने-जाने वाले से 
अनुनय करते रहते हैं वे 
शाम गए तक बिक जाती हैं 
बमुश्किल दो चार चीजें 
वहीं आगे बढ़कर 
लोहे के व्यापारी 
मोहसीन अली फखरुद्दीन की दुकान पर 
एक नया बोर्ड नुमायाँ है 
”तेज धार और मजबूती के लिए 
खरीदिए टाटा के हँसिये” 
यह वही हँसिया है टाटा का 
जिसका शिल्प वामपंथी दलों के चुनावी निशान 
से मिलता जुलता है 
टाटा के पास हँसिया है 
हथौड़ा है, गेहूँ की बाली और नमक भी 
चौराहे पर बैठे लोहार के पास क्या है 
एक मुकम्मिल भूख के सिवा

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