ड्रायवर | नरेंद्र जैन
ड्रायवर | नरेंद्र जैन

ड्रायवर | नरेंद्र जैन

ड्रायवर | नरेंद्र जैन

गिट्टी पर चलते हुए 
पहुँचा मैं मालगाड़ी के इंजन के सामने 
मालगाड़ी खड़ी थी देर से 
इंजन में बैठा था ड्रायवर 
मैंने कहा उससे 
बचपन से आज तक विस्मय से देखता रहा हूँ 
इंजन में बैठे ड्रायवर को 
कार, बस, ट्रक, आटो और स्कूटर 
चलाते देखे हैं मैंने लोग और 
नहीं कर पाए वे प्रभावित 
और, हमेशा विस्मय का पात्र रहा है 
रेल के इंजन में बैठा ड्रायवर मेरे लिए 
मिलती अगर रेल महकमें में नौकरी 
मैं होता आखिरी डिब्बे में बैठा गार्ड 
या मालगाड़ी चलाता ड्रायवर 
कितने ही कस्बे और शहर रोज 
सामने से गुजरते 
कुछ हादसे भी जरूर पेश आते मेरे हिस्से

सीट पर बैठे ड्रायवर ने कहा मुझसे 
‘तुममें जुनून है, तुम आओ और बैठो मेरे बगल में 
और, देखो कैसे चलती है गाड़ी 
मैं तो कुछ संकेत देता हूँ 
वह तो अपने आप ही चलती रहती है 
हाँ 
अब पुराने दौर के इंजन नहीं रहे 
नहीं तो तुम देखते कि 
भर-भर कर अपने बेलचे में कोयला 
एक शख्स इंजन में झोंक रहा होता यहाँ

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