मरते रहना थोड़ा-थोड़ा, बार-बार इंतजार करना किसी सूर्य के अस्त होने का तुमको तैयार कर रहा होता है मृत्यु के लिए। इस बनाए जा रहे व्यूह में चक्र की गति समय की परिभाषा से इतर गढ़ रही है घेरेबंदी का युग और तुम इसके बीचों-बीच केवल सोच रहे हो अंतिम इच्छा अंतिम वाक्य अंतिम स्वाद को। सभ्य महामानवों करते रहो इंतजार इस अंतिम का करते रहो जुगाली भरे हुए पेट से तुम्हारा भरते […]
Yaduvansh Yadav
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बम होते तारे
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छोटे कमरे का प्यार
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गोल रोटियों की परिधि में माँ
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