क्या आपने भी कभी एक सपने के भीतर दूसरा सपना देखा है, जैसे एक समय में एक फिल्म के भीतर दूसरी फिल्म चलती हो और पहली फिल्म के बंद हो जाने पर भी दूसरी चलती रहे और हम उसे देखते रहें, एक सपने की तरह और हमारी नींद न टूटे। सपने के बाहर कोई जागता […]
Tag: Vivek Mishra
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पार उतरना धीरे से
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थर्टी मिनिट्स
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तन मछरी-मन नीर
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