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स्मृति-लोक

उन्होंने सारे दरवाजे और खिड़कियाँ बंद कर लीं। परदे खींच लिए। परदे का कोना उठाकर बाहर झाँककर देखा, आसपास कोई दिखाई नहीं दिया – यानी परदों के पार कोई झाँककर नहीं देख सकता था इस बात का विश्वास उन्हें हो गया। इस मैदान खाली था। न बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे, न गाय-भैंस… घास की […]