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दीप प्राणों के जलाओ

अब मशालों पर नहीं विश्‍वास होता,जगमगाते दीप प्राणों के जलाओ। नेह का संबल उन्‍हें दोएकता का बल उन्‍हें दोऔर निश्‍चय से जुड़े कुछगीत मेरे पल उन्‍हें दोसंधि कर लो प्रात की उजली किरण सेकिंतु पहले रात की स्‍याही मिटाओ। एक हो समता बुला लोसो रही ममता जगा लोबाँट लेंगे दर्द को भीबस यही बीड़ा उठा […]