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सिलसिला

रात को वह देर तक जागता रहा। पता नहीं कब आंखें लगीं। पर वह आश्‍वस्‍त था कि अगली सुबह बच्‍चों से मुंह नहीं छिपाना पड़ेगा। वह एक मित्र से बीस रुपये उधार लेने में सफल हो गया था। हालांकि इन रुपयों को लेते समय बीस तरह के रोने और पचास किस्‍म के झूठ बोले गये […]