बाकी मसले

हवाओं के झोंके उधर से इधर आते और चंद पलों में ही धोरों की शक्लें बदल जाती। न जाने विभाजन के बाद कितने रेत के कण, परिंदे, इनसानी जज्बात और दुआएँ सरहद को बेमानी करती हुई उधर से इधर और इधर से उधर आती-जाती रही हैं और सियासी रंजिशों को अँगूठा दिखाती रही हैं। ऐसे … Read more

नया धंधा

‘चलो एक अफसाना बुनते हैं।’ हम चार दोस्तों के बीच मंजीतवा (वैसे तो ‘सिंह’ था) किसी के बोलने का नंबर ही नहीं आने देता था। चार लाइन किसी लेखक की याद कर लाता और हर बार की तरह बहस में नानस्टोप एक घंटे तक बोलता रहता। आज भी शुरू हो गया – ‘हम मारवाड़ी बनियों … Read more

दूजी मीरा

गाँव के गुवाड़ में खेलते बच्चों को जब चौधरी के कदमों की आहट का अहसास हो जाता, तो पलभर में सारा गुवाड़ खाली हो जाता था। बच्चे जादू के मानिंद गायब हो जाते और किसी बच्चे का चेहरा अगर चौधरी को दिख गया तो समझो उसकी घर में खैर नहीं। पापा-मम्मी सब कहेंगे कि तू … Read more

खोट

मेरे एक बहुत ही अजीज दोस्त की शादी थी। अजीज इसलिए था कि जब भी मुझे ज्ञान बघारने का दौरा पड़ता तो वह एक मासूम बच्चे की तरह श्रोता मिल जाता। वह मुझे सहन करता था या मैं उसे, यह तो अभी तक तय नहीं हो पाया मगर इतना तय जरूर था कि कोई तीसरा … Read more

किस्तों की मौत

इनसान रोज ही नहीं हर पल मरता है, जब वह अंतिम रूप से मरता है तो दुनिया को लगता है कि फलाँ मर गया। लेकिन रोजाना जो किस्तों में मरता है उसका क्या? राजस्थान के मरुस्थल में टीलों के पीछे इतने गाँव और ढाणियाँ (गाँव का छोटा रूप) बिखरे पड़े हैं कि अगर समेटने लगो … Read more