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बाकी मसले

हवाओं के झोंके उधर से इधर आते और चंद पलों में ही धोरों की शक्लें बदल जाती। न जाने विभाजन के बाद कितने रेत के कण, परिंदे, इनसानी जज्बात और दुआएँ सरहद को बेमानी करती हुई उधर से इधर और इधर से उधर आती-जाती रही हैं और सियासी रंजिशों को अँगूठा दिखाती रही हैं। ऐसे […]