Posted inPoems

शब्दों की कील ढूँढ़ता हूँ | रतीनाथ योगेश्वर

शब्दों की कील ढूँढ़ता हूँ | रतीनाथ योगेश्वर शब्दों की कील ढूँढ़ता हूँ | रतीनाथ योगेश्वर अँधेरे की दीवार परउजाले के एक टुकड़े कोटाँगने के लिएशब्दों की कील ढूँढ़ता हूँ – ”यह वर्ष मुबारक दोस्तों” कितना कुछ जल गया एक साथन आग दिखी… न धुआँराख तक कापता नहीं चलने दिया गयाऔर कोहरा था कि –हटने […]