रेलवे स्टेशन पर संगीत सभा | ओसिप मांदेल्श्ताम रेलवे स्टेशन पर संगीत सभा | ओसिप मांदेल्श्ताम असंभव है साँस लेना।कीड़े-मकोड़ों से भरा है आकाश।पर तारा एक भी नहीं बोल रहा।ईश्वर देखता है –हमारे ऊपर है संगीतगानों की आवाज से काँप रहा है स्टेशनइंजन की सीटियोंधुल-सी गयी हैं हवा की चिन्दियों में। विशाल उद्यान ! स्टेशन […]
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युग | ओसिप मांदेल्श्ताम
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मैं भटक गया हूँ | ओसिप मांदेल्श्ताम
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