रेलवे स्टेशन पर संगीत सभा | ओसिप मांदेल्श्ताम

रेलवे स्टेशन पर संगीत सभा | ओसिप मांदेल्श्ताम

रेलवे स्टेशन पर संगीत सभा | ओसिप मांदेल्श्ताम रेलवे स्टेशन पर संगीत सभा | ओसिप मांदेल्श्ताम असंभव है साँस लेना।कीड़े-मकोड़ों से भरा है आकाश।पर तारा एक भी नहीं बोल रहा।ईश्‍वर देखता है –हमारे ऊपर है संगीतगानों की आवाज से काँप रहा है स्‍टेशनइंजन की सीटियोंधुल-सी गयी हैं हवा की चिन्दियों में। विशाल उद्यान ! स्‍टेशन … Read more

युग | ओसिप मांदेल्श्ताम

युग | ओसिप मांदेल्श्ताम

युग | ओसिप मांदेल्श्ताम युग | ओसिप मांदेल्श्ताम ओ मेरे युग, मेरे बनैले पशु,तेरी पुतलियों में झाँकने काकिसमें इतना साहसजो जोड़े अपने खून सेदो शताब्दियों की रीढ़ को?सर्जक-रक्‍त बह रहा है वेग सेसांसारिक चीजों के कंठ सेनये समय की देहरी परये परजीवी प्राणी हैं जो थरथरा रहे हैं। जीवन जब तक शेष हैउसे उठाते रहनी … Read more

मुझे मिला है शरीर | ओसिप मांदेल्श्ताम

मुझे मिला है शरीर | ओसिप मांदेल्श्ताम

मुझे मिला है शरीर | ओसिप मांदेल्श्ताम मुझे मिला है शरीर | ओसिप मांदेल्श्ताम मुझे मिला है शरीर – क्‍या करूँ मैं उसका?उस इतने साबूत और इतने मेरे अपने आपका? साँस लेने और जीने की खुशियों के लिएकिसे कहूँ मैं शब्‍द धन्‍यवाद के? मैं ही फूल हूँ और मैं ही उसे सींचने वालाअकेला नहीं मैं … Read more

मैं भटक गया हूँ | ओसिप मांदेल्श्ताम

मैं भटक गया हूँ | ओसिप मांदेल्श्ताम

मैं भटक गया हूँ | ओसिप मांदेल्श्ताम मैं भटक गया हूँ | ओसिप मांदेल्श्ताम मैं भटक गया हूँ आकाश में – क्‍या करूँ?वही बताये जिसे प्राप्‍त है उसका स्नेहओ दांतें की खेल-तश्‍तरियोंआसान नहीं था खनकना तुम्‍हारे लिए। जिंदगी से मुझे अलग किया नहीं जा सकता,उसे स्‍वप्‍न आते हैं मारने और दोबारा प्‍यार करने केकि आँख, … Read more

बहुत रह लिया उदासी में | ओसिप मांदेल्श्ताम

बहुत रह लिया उदासी में | ओसिप मांदेल्श्ताम

बहुत रह लिया उदासी में | ओसिप मांदेल्श्ताम बहुत रह लिया उदासी में | ओसिप मांदेल्श्ताम बहुत रह लिया मैं इस उदासी में,मेज पर पसार दूँगा कागज,आज मैं वश में हूँ एक भले प्रेत के।लगता है जैसे फ्रांसीसी हेअर ड्रेसर नेशैंपू से जड़ों तक धो डाले हैं मेरे बाल। मैं अभी मरा नहीं – तैयार … Read more

जिन्दगी गिरी जैसे बिजली | ओसिप मांदेल्श्ताम

जिन्दगी गिरी जैसे बिजली | ओसिप मांदेल्श्ताम

जिन्दगी गिरी जैसे बिजली | ओसिप मांदेल्श्ताम जिन्दगी गिरी जैसे बिजली | ओसिप मांदेल्श्ताम जिन्‍दगी गिरी जैसे गरमियों में बिजलीपानी भरे गिलास में जैसे आँख के कोए।झूठ बोला, मैं एकदम झूठपर दोष इसमें नहीं किसी का। तुम्‍हें रात का सेब चाहिए क्‍यारसभरा ताजा अभी-अभी तोड़ा हुआकहो तो उतार दूँ अपने ऊनी जूतेउठा दूँ उन्‍हें पंख … Read more

गुनाहभरी नजरो की उस्ताभद | ओसिप मांदेल्श्ताम

गुनाहभरी नजरो की उस्ताभद | ओसिप मांदेल्श्ताम

गुनाहभरी नजरो की उस्ताभद | ओसिप मांदेल्श्ताम गुनाहभरी नजरो की उस्ताभद | ओसिप मांदेल्श्ताम गुनाहभरी नजरों की उस्‍तादछोटे-छोटे कंधों की मालकिनशांत है आज मर्दाना मिजाजचुप हो गई है डूब कर मेरी भाषा। लाल पंखों-सी चमकती तैर रही हैं मछलियाँ,फैला रही है वे अपनी स्‍वासेद्रिंयाँलो पकड़ डालो उन बेआवाज मुँह खोलते प्राणियों कोअपने मांस का आधा … Read more

खामोशी | ओसिप मांदेल्श्ताम

खामोशी | ओसिप मांदेल्श्ताम

खामोशी | ओसिप मांदेल्श्ताम खामोशी | ओसिप मांदेल्श्ताम उसका अभी जन्‍म हुआ नहींवह संगीत है, शब्‍द भीइसी लिए अटूट सूत्र है वहउस सबका जो कि जीवित है। चैन से साँस ले रहा है समुद्र का सीनापर पागल की तरह उज्‍ज्‍वल है दिन,बुझे-बुझे-से हैं लाइलैक झाग केइस साँवले नीले पात्र में। प्राप्‍त होगा मेरे होठों कोवह … Read more

आने वाले युगों की खातिर | ओसिप मांदेल्श्ताम

आने वाले युगों की खातिर | ओसिप मांदेल्श्ताम

आने वाले युगों की खातिर | ओसिप मांदेल्श्ताम आने वाले युगों की खातिर | ओसिप मांदेल्श्ताम आने वाले युगों की गरजती गरिमा की खातिरउन्‍नत मानव समाज की खातिरपितरों के भोज में वंचित रहा मैं अपने प्‍याले से,वंचित रहा आनंद और सम्‍मानित होने के अवसर से। आ झपटता है मेरी पीठ पर मेरा युग-भेड़िया पकड़ता हुआ … Read more

अभिनेता और श्रमिक | ओसिप मांदेल्श्ताम

अभिनेता और श्रमिक | ओसिप मांदेल्श्ताम

अभिनेता और श्रमिक | ओसिप मांदेल्श्ताम अभिनेता और श्रमिक | ओसिप मांदेल्श्ताम जलक्रीड़ा प्रेमियों के क्‍लब के अहाते मेंजहाँ ऊँचे हैं मस्‍तूल, लटके हैं सुरक्षा-पहिएसमुद्र के पास दक्षिण के आकाश के नीचेबन रही है खुशबूदार लकड़ी की दीवार। यह खेल है जो खड़ी कर रहा है दीवार।काम करना भी क्‍या एक तरह का खेल नहीं?चौड़े … Read more