सड़क | नीलेश रघुवंशी

सड़क | नीलेश रघुवंशी

सड़क | नीलेश रघुवंशी सड़क | नीलेश रघुवंशी आकाश के लिए नहीं हैनहीं है दीवारों के लिएखिड़की से दिखती जरूर है लेकिनखिड़की के लिए भी नहीं है सड़क!पाँव से डामर को छुड़ातेसोचते नहीं हमसड़क पर चुभे अपने निशानों के बारे मेंक्या सड़कें भी दर्द से कराहती हैंजब सड़क पर अर्थी लिए चलते हैं लोगझूमते बारातियों … Read more

रंज | नीलेश रघुवंशी

रंज | नीलेश रघुवंशी

रंज | नीलेश रघुवंशी रंज | नीलेश रघुवंशी अगर मैंकिसी दुख से दुखी न होऊँकिसी सुख की चाह न करूँरोग भय और क्रोध से पा जाऊँ छुटकारातो क्या और कैसा होग?जीवन कितना उबाऊ और नीरस होगा ! जिया नहीं जिसने जीवन कोपिया नहीं उसने मृत्यु को…! मृत्यु से छुटकारा और जीवन से रागसुख को देहरी … Read more

मुहावरा | नीलेश रघुवंशी

मुहावरा | नीलेश रघुवंशी

मुहावरा | नीलेश रघुवंशी मुहावरा | नीलेश रघुवंशी पैसे की तरह पानी मत बहाओ पोस्टर और मुहावरों से सजासड़क पर पानी गिराता जाता ये टैंकरजा रहा है उन भूखी सूखी बस्तियों की ओरजिनके पास चुल्लू भर पानी भी नहींडूब मरे जिसमें ये मुहावरा…! किसने मारी ठोकर जल से भरे लोटे कोकिसने बेदखल किया मुहावरे को … Read more

पेड़ों का शहर | नीलेश रघुवंशी

पेड़ों का शहर | नीलेश रघुवंशी

पेड़ों का शहर | नीलेश रघुवंशी पेड़ों का शहर | नीलेश रघुवंशी कल रात स्वप्न मेंएक पेड़ से लिपटकर बहुत रोईहिचकियाँ लेते रुँधे गले से बोलीमैं जीना चाहती हूँ और जीवन बहुत दूर है मुझसेपेड़ ने कहामेरे साथ चलो तुम मेरे शहररोते हुए आँखें चमक गईं मेरीपेड़ों का शहर…?चमकती हुई रात मेंअचानक हम ट्रेफिक में … Read more

दो हिस्से | नीलेश रघुवंशी

दो हिस्से | नीलेश रघुवंशी

दो हिस्से | नीलेश रघुवंशी दो हिस्से | नीलेश रघुवंशी आत्मकथ्य मेरे प्राण मेरी कमीज के बाहरआधी उधड़ चुकी जेब में लटके हैंमेरी जेब में उसका फोटो हैरोपा जा रहा है जिसके दिल मेंफूल विस्मरण का…!झूठ फरेबी चार सौ बीसीजाने कितने मामले दर्ज हैं मेरे ऊपरइस भ्रष्ट और अंधे तंत्र सेलड़ने का कारगर हथियार नहीं … Read more

तीसरा एस.एम.एस. | नीलेश रघुवंशी

तीसरा एस.एम.एस. | नीलेश रघुवंशी

तीसरा एस.एम.एस. | नीलेश रघुवंशी तीसरा एस.एम.एस. | नीलेश रघुवंशी ”राम मंदिर के अधिकार के लिए प्रार्थना करोचौबीस सितंबर को कोर्ट का फैसला हैसभी हिंदू भाई से प्रार्थना की उम्मीद है…इस मैसेज को आग की तरह फैला दोजो हिंदू राम का नहीं वो किसी काम का नहीं‘जय श्री राम’…।” ”मुसलमानो सब्र करोवह वक्त अब करीब … Read more

जल की अपराधी | नीलेश रघुवंशी

जल की अपराधी | नीलेश रघुवंशी

जल की अपराधी | नीलेश रघुवंशी जल की अपराधी | नीलेश रघुवंशी पानी बहुत कम है अब जीवन में!तिस परहर दिन जल को पाँव से छूती हूँहर दिन पानी से अपनी प्यास बुझाती हूँहर दिन पानी को बिकते देखती हूँहर दिन पानी को फिंकते देखती हूँमैं देख देखकर अपराध करती हूँजल के बिना कल की … Read more

चोरी | नीलेश रघुवंशी

चोरी | नीलेश रघुवंशी

चोरी | नीलेश रघुवंशी चोरी | नीलेश रघुवंशी जब भी बहनें आतीं ससुराल सेवे दो चार दिनों तक सोती रहतींउलाँकते हुए उनके कान में जोर की कूँक मारतेएक बार तो लँगड़ी भी खेली हमने उन परवे हमें मारने दौड़ींहम भागकर पिता से चिपक गएनींद से भरी वे फिर सो गईं वहीं पिता के पास…! पिता … Read more

चिड़िया की आँख से | नीलेश रघुवंशी

चिड़िया की आँख से | नीलेश रघुवंशी

चिड़िया की आँख से | नीलेश रघुवंशी चिड़िया की आँख से | नीलेश रघुवंशी मैंने अपनी सारी जड़ेंधरती के भीतर से खींच लीं औरचिड़िया की तरह उड़ने लगीमैं इस दुनिया कोचिड़िया की आँख से देखना चाहती हूँ…कल रात चमकीली सुबह मेंएक आतंकवादी मेरे सपने में आयाथोड़ा सागोला बारूद बचा हुआ था उसके पासजिसे उसने एक … Read more

चप्पल | नीलेश रघुवंशी

चप्पल | नीलेश रघुवंशी

चप्पल | नीलेश रघुवंशी चप्पल | नीलेश रघुवंशी जाने क्यों महँगी चप्पलेंगिरतीं नहीं कभी सड़क परवे छूटती भी नहीं हैंऔर किसी दूसरे के पाँव में आती भी नहीं आसानी सेसस्ती चप्पलें सस्तेपन को साथ लिएयहाँ-वहाँ छूटती हैं और उनका मिलना अशुभ भी नहीं होता ।