हिस्सा | नरेश सक्सेना

हिस्सा | नरेश सक्सेना

हिस्सा | नरेश सक्सेना हिस्सा | नरेश सक्सेना बह रहे पसीने में जो पानी है वह सूख जाएगालेकिन उसमें कुछ नमक भी हैजो बच रहेगा टपक रहे खून में जो पानी है वह सूख जाएगालेकिन उसमें कुछ लोहा भी हैजो बच रहेगा एक दिन नमक और लोहे की कमी का शिकारतुम पाओगे खुद को और … Read more

हँसी | नरेश सक्सेना

हँसी | नरेश सक्सेना

हँसी | नरेश सक्सेना (आपातकाल के दौरान) भयानक होती है रातजब कुत्ते रोते हैंलेकिन उससे भी भयानक होती है रातजब कुत्ते हँसते हैंसुनो क्या तुम्हें सुनाई देती हैकिसी के हँसने की आवाज।

हर सुबह | नरेश सक्सेना

हर सुबह | नरेश सक्सेना

हर सुबह | नरेश सक्सेना वह सिर्फ सूरज ही होता हैजो मारा जाता है हर शामऔर फिररोशनियों के कटे हुए सिरटाँग दिए जाते हैं खंभों सेताकि ऐसी बदमाशी करने का साहसफिर किसी और में न हो और सचमुच किसी में नहीं होतावह सिर्फ सूरज ही होता हैहर सुबह।

सीढ़ी | नरेश सक्सेना

सीढ़ी | नरेश सक्सेना

सीढ़ी | नरेश सक्सेना मुझे एक सीढ़ी की तलाश हैसीढ़ी दीवार पर चढ़ने के लिए नहींबल्कि नींव में उतरने के लिए मैं किले को जीतना नहींउसे ध्वस्त कर देना चाहता हूँ।

साम्य | नरेश सक्सेना

साम्य | नरेश सक्सेना

साम्य | नरेश सक्सेना समुद्र के निर्जन विस्तार को देखकरवैसा ही डर लगता हैजैसा रेगिस्तान को देखकर समुद्र और रेगिस्तान में अजीब साम्य है दोनो ही होते हैं विशाललहरों से भरे हुए और दोनों हीभटके हुए आदमी को मारते हैंप्यासा।

साँकल खनकाएगा कौन | नरेश सक्सेना

साँकल खनकाएगा कौन | नरेश सक्सेना

साँकल खनकाएगा कौन | नरेश सक्सेना दिन भर की अलसाई बाँहों का मौन,बाँहों में भर-भर कर तोड़ेगा कौन,बेला जब भली लगेगी। आज चली पुरवा, कल डूबेंगे ताल,द्वारे पर सहजन की फूलेगी डाल,ऊँची हर डाल को झुकाएगा कौनचौथे दिन फली लगेगी। दिन-दिन भर अनदेखा, अनबोली रातआँखों की सूने से बरजोरी बात,साँझ ढले साँकल खनकाएगा कौन,कितनी बेकली … Read more

समुद्र | नरेश सक्सेना

समुद्र | नरेश सक्सेना

समुद्र | नरेश सक्सेना कितनी ताकत सेकिनारे की तरफ झपटती हैं लहरें लेकिन अपनी सीमा के बाहरएक कदम नहीं बढ़ातीं लगातार छटपटाता है समुद्र।

समुद्र पर हो रही है बारिश | नरेश सक्सेना

समुद्र पर हो रही है बारिश | नरेश सक्सेना

समुद्र पर हो रही है बारिश | नरेश सक्सेना क्या करे समुद्रक्या करे इतने सारे नमक का कितनी नदियाँ आईं और कहाँ खो गईंक्या पताकितनी भाप बनाकर उड़ा दींइसका भी कोई हिसाब उसके पास नहींफिर भी संसार की सारी नदियाँधरती का सारा नमक लिएउसी की तरफ दौड़ी चली आ रही हैंतो क्या करेकैसे पुकारेमीठे पानी … Read more

सेतु | नरेश सक्सेना

सेतु | नरेश सक्सेना

सेतु | नरेश सक्सेना सेनाएँ जब सेतु से गुजरती हैंतो सैनिक अपने कदमों की लय तोड़ देते हैंक्योंकि इससे सेतु टूट जाने का खतराउठ खड़ा होता है शनैः-शनै: लय के सम्मोहन में डूबसेतु का अंतर्मन होता है आंदोलितझूमता है सेतु दो स्तंभों के मध्य औरयदि उसकी मुक्त दोलन गति मेल खा गईसैनिकों की लय सेतब … Read more