हाथों में मोबाइल | मुकुट सक्सेना

हाथों में मोबाइल | मुकुट सक्सेना

हाथों में मोबाइल | मुकुट सक्सेना हाथों में मोबाइल | मुकुट सक्सेना हम कोरस में लीन प्रगति केगीत गा रहे हैं उपचारित बीजों का कर्जाअभी नहीं उतराखड़ी फसल का कच्चा दानाकीटों ने कुतरापक्षी ढोरों से रक्षा हितखड़ा किया जिनकोवहीं बिजूके पकी फसल काखेत खा रहे हैं हाथों में मोबाइल परबनियानें फटी हुईंसूट पहन कर मुद्रित … Read more

हरा-लैंस | मुकुट सक्सेना

हरा-लैंस | मुकुट सक्सेना

हरा-लैंस | मुकुट सक्सेना हरा-लैंस | मुकुट सक्सेना चंदन बन में आग लगाकरहम सुगंध में डूबे हैंअपनी ही जड़ काट रहे हैंजाने क्या मंसूबे हैं सरिताओं की स्वासें टूटीप्राण गए शैवालों केधँसी रेत में शंख, सीपियाँतल दरके हैं तालों केपनघट तरसे बूँद-बूँद कोपंछी छाया को तरसेशनैः-शनैः निःशेष हो रहेजल, थल, नभचर ऊबे हैं। अब करील … Read more

पृथ्वी पर हस्ताक्षर | मुकुट सक्सेना

पृथ्वी पर हस्ताक्षर | मुकुट सक्सेना

पृथ्वी पर हस्ताक्षर | मुकुट सक्सेना पृथ्वी पर हस्ताक्षर | मुकुट सक्सेना रोज सुबह उगता जो इंद्रधनुष आँखों मेमैंने तो देखा हैतुमने भी देखा क्या? पीड़ा के जल में हीशुभ कमल खिलते हैंदुर्दिन के भँवरेमकरंद लिए मिलते हैंजीवन का स्पंदन, फूल और परागों मेंमैंने तो देखा हैतुमने भी देखा क्या? इच्छा के मरुथल मेंतृष्णा है … Read more