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तुमसे क्या-क्या छुपा पाऊँगा | मृत्युंजय

तुमसे क्या-क्या छुपा पाऊँगा | मृत्युंजय तुमसे क्या-क्या छुपा पाऊँगा | मृत्युंजय आठो रास्तों से चलकर आया है दुखसुख को बांधे आया है घसीट करऔर अबपटक देगा उसे तुम्हारी पूरी देह परतब कैसे क्या क्या छुपाऊँगा तुमसेकायनात समाई होगी जब तुममें किन किन चीजों से बचकर रहना है तुम्हेंइसकी लिस्ट है मेरे पासइसकी भी लिस्ट […]