सीमाएँ | मोहन राकेश – Seemaen सीमाएँ | मोहन राकेश इतना बड़ा घर था, खाने-पहनने और हर तरह की सुविधा थी, फिर भी उमा के जीवन में बहुत बड़ा अभाव था जिसे कोई चीज़ नहीं भर सकती थी। उसे लगता था वह देखने में सुन्दर नहीं है। वह जब भी शीशे के सामने खड़ी होती […]
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