सृजन के क्षण | कुँवर नारायण

सृजन के क्षण | कुँवर नारायण

सृजन के क्षण | कुँवर नारायण सृजन के क्षण | कुँवर नारायण रात मीठी चाँदनी है,मौन की चादर तनी है, एक चेहरा ? या कटोरा सोम मेरे हाथ मेंदो नयन ? या नखतवाले व्‍योम मेरे हाथ में ? प्रकृति कोई कामिनी है ?या चमकती नागिनी है ? रूप-सागर कब किसी की चाह में मैले हुए … Read more

लापता का हुलिया | कुँवर नारायण

लापता का हुलिया | कुँवर नारायण

लापता का हुलिया | कुँवर नारायण लापता का हुलिया | कुँवर नारायण रंग गेहुआँ ढंग खेतिहरउसके माथे पर चोट का निशानकद पाँच फुट से कम नहींऐसी बात करता कि उसे कोई गम नहीं।तुतलाता है।उम्र पूछो तो हजारों साल से कुछ ज्यादा बतलाता है।देखने में पागल-सा लगता – है नहीं।कई बार ऊँचाइयों से गिर कर टूट … Read more

यकीनों की जल्दबाजी से | कुँवर नारायण

यकीनों की जल्दबाजी से | कुँवर नारायण

यकीनों की जल्दबाजी से | कुँवर नारायण यकीनों की जल्दबाजी से | कुँवर नारायण एक बार खबर उड़ीकि कविता अब कविता नहीं रहीऔर यूँ फैलीकि कविता अब नहीं रही ! यकीन करनेवालों ने यकीन कर लियाकि कविता मर गईलेकिन शक करने वालों ने शक कियाकि ऐसा हो ही नहीं सकताऔर इस तरह बच गई कविता … Read more

ये शब्द वही हैं | कुँवर नारायण

ये शब्द वही हैं | कुँवर नारायण

ये शब्द वही हैं | कुँवर नारायण ये शब्द वही हैं | कुँवर नारायण यह जगह वही हैजहाँ कभी मैंने जन्म लिया होगाइस जन्म से पहले यह मौसम वही हैजिसमें कभी मैंने प्यार किया होगाइस प्यार से पहले यह समय वही हैजिसमें मैं बीत चुका हूँ कभीइस समय से पहले वहीं कहीं ठहरी रह गयी … Read more

मामूली जिंदगी जीते हुए | कुँवर नारायण

मामूली जिंदगी जीते हुए | कुँवर नारायण

मामूली जिंदगी जीते हुए | कुँवर नारायण मामूली जिंदगी जीते हुए | कुँवर नारायण जानता हूँ कि मैंदुनिया को बदल नहीं सकता,न लड़ करउससे जीत ही सकता हूँ हाँ लड़ते-लड़ते शहीद हो सकता हूँऔर उससे आगेएक शहीद का मकबराया एक अदाकार की तरह मशहूर… लेकिन शहीद होनाएक बिलकुल फर्क तरह का मामला है बिलकुल मामूली … Read more

मैं कहीं और भी होता हूँ | कुँवर नारायण

मैं कहीं और भी होता हूँ | कुँवर नारायण

मैं कहीं और भी होता हूँ | कुँवर नारायण मैं कहीं और भी होता हूँ | कुँवर नारायण मैं कहीं और भी होता हूँजब कविता लिखता हूँ कुछ भी करते हुएकहीं और भी होनाधीरे-धीरे मेरी आदत-सी बन चुकी है हर वक्त बस वहीं होनाजहाँ कुछ कर रहा हूँएक तरह की कम-समझी हैजो मुझे सीमित करती … Read more

भाषा की ध्वस्त पारिस्थितिकी में | कुँवर नारायण

भाषा की ध्वस्त पारिस्थितिकी में | कुँवर नारायण

भाषा की ध्वस्त पारिस्थितिकी में | कुँवर नारायण भाषा की ध्वस्त पारिस्थितिकी में | कुँवर नारायण प्लास्टिक के पेड़नाइलॉन के फूलरबर की चिड़ियाँ टेप पर भूले बिसरेलोकगीतों कीउदास लड़ियाँ… एक पेड़ जब सूखतासब से पहले सूखतेउसके सब से कोमल हिस्से –उसके फूलउसकी पत्तियाँ। एक भाषा जब सूखतीशब्द खोने लगते अपना कवित्वभावों की ताजगीविचारों की सत्यता … Read more

बाद की उदासी | कुँवर नारायण

बाद की उदासी | कुँवर नारायण

बाद की उदासी | कुँवर नारायण बाद की उदासी | कुँवर नारायण कभी-कभी लगताबेहद थक चुका है आकाशअपनी बेहदी सेवह सीमित होना चाहता हैएक छोटी-सी गृहस्ती भर जगह में,वह शामिल होना चाहता है एक पारिवारिक दिनचर्या में,वह प्रेमी होना चाहता है एक स्त्री का,वह पिता होना चाहता है एक पुत्र का,वह होना चाहता है किसी … Read more

बात सीधी थी पर | कुँवर नारायण

बात सीधी थी पर | कुँवर नारायण

बात सीधी थी पर | कुँवर नारायण बात सीधी थी पर | कुँवर नारायण बात सीधी थी पर एक बारभाषा के चक्कर मेंजरा टेढ़ी फँस गई। उसे पाने की कोशिश मेंभाषा को उलटा पलटातोड़ा मरोड़ाघुमाया फिरायाकि बात या तो बनेया फिर भाषा से बाहर आये –लेकिन इससे भाषा के साथ साथबात और भी पेचीदा होती … Read more

बाकी कविता | कुँवर नारायण

बाकी कविता | कुँवर नारायण

बाकी कविता | कुँवर नारायण बाकी कविता | कुँवर नारायण पत्तों पर पानी गिरने का अर्थपानी पर पत्ते गिरने के अर्थ से भिन्न है। जीवन को पूरी तरह पानेऔर पूरी तरह दे जाने के बीचएक पूरा मृत्यु-चिह्न है। बाकी कविताशब्दों से नहीं लिखी जाती,पूरे अस्तित्व को खींचकर एक विराम की तरहकहीं भी छोड़ दी जाती … Read more