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सृजन के क्षण | कुँवर नारायण

सृजन के क्षण | कुँवर नारायण सृजन के क्षण | कुँवर नारायण रात मीठी चाँदनी है,मौन की चादर तनी है, एक चेहरा ? या कटोरा सोम मेरे हाथ मेंदो नयन ? या नखतवाले व्‍योम मेरे हाथ में ? प्रकृति कोई कामिनी है ?या चमकती नागिनी है ? रूप-सागर कब किसी की चाह में मैले हुए […]