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लुप्त होती भाषाएँ | कुमार विक्रम

लुप्त होती भाषाएँ | कुमार विक्रम लुप्त होती भाषाएँ | कुमार विक्रम कहते हैं हजारों भाषाएँ लुप्त हुई जा रही हैं वे अब उन पुराने बंद मकानों की तरह हैं जिनमे कोई रहने नहीं आता मकान से गिरती टूटी-फूटी कुछ ईंटें बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए घर के मंदिर में बेढंग शब्दों जैसे सहेज कर रख ली गई हैं जैसे बीती रात […]