मृत-कथा | जयशंकर

मृत-कथा | जयशंकर

मृत-कथा | जयशंकर – Mrt-Katha मृत-कथा | जयशंकर बरसाली में सर्दियाँ कुछ ज्यादा वक्त तक बनी रहती हैं। मार्च आते-आते तक रातें सर्द बनी रहती हैं। मार्च के दिनों के आसमान की लीला देखने के लिए जब मैं रेलवे इंस्टीट्यूट के पड़ोस के स्टेज पर बैठा रहता हूँ, तब अपनी नीले रंग की शॉल का … Read more

मंजरी | जयशंकर

मंजरी | जयशंकर

मंजरी | जयशंकर – Manjari मंजरी | जयशंकर (एक) मंजरी ने अपने तानपुरे को उसकी जगह पर रख दिया। रियाज में उसका मन नहीं लगा। शाम को उसे एक महफिल में गाना था। इसीलिए वह कबीर के एक भजन को तैयार कर रही थी। इधर यह हुआ है कि मंजरी की अपने गाने में थोड़ी-सी … Read more

चेंबर म्यूजिक | जयशंकर

चेंबर म्यूजिक | जयशंकर

चेंबर म्यूजिक | जयशंकर – chamber music चेंबर म्यूजिक | जयशंकर शाम मुझे झपकी लग गई थी। मुनिया ने दरवाजा खोलते हुए कहा। ‘अब माँ कैसी है।’ उसके बाबा ने पूछा। ‘हल्का-सा बुखार बना हुआ है।’ ‘उसने दोपहर में कुछ खाया था।’ ‘थोड़ी-सी खिचड़ी खाई थी… मैंने बनाई थी।’ ‘क्यों? राधा बाई नहीं आई?’ ‘अम्मा … Read more

गणित का अध्यापक | जयशंकर

गणित का अध्यापक | जयशंकर

गणित का अध्यापक | जयशंकर – Ganit Ka Adhyapak गणित का अध्यापक | जयशंकर यह मैं बाद के बरसों में जानूँना कि उनसे मेरा मिलना माँ के लिए तकलीफदेह हुआ करता था, जिस दिन मैं यह जानूँगा उस दिन पिता जीवित नहीं होंगे और अलका आंटी किसी दूसरे शहर के अस्पताल में अपनी लाइलाज बीमारी … Read more

गुजरा हुआ जमाना | जयशंकर

गुजरा हुआ जमाना | जयशंकर

गुजरा हुआ जमाना | जयशंकर – Gujara Hua Jamana गुजरा हुआ जमाना | जयशंकर छाया ने उसके घर के दरवाजे पर दस्तकें भी नहीं दी। वह आँगन से ही लौटने लगी। आँगन में मार्च की शाम का आखिरी उजाला भी सिमट रहा था। तुलसी के चौरे के पास लेटी हुई भूरी बिल्ली की नींद छाया … Read more

कोई ऐसी कहानी | जयशंकर

कोई ऐसी कहानी | जयशंकर

कोई ऐसी कहानी | जयशंकर – Koi Aisi Kahani कोई ऐसी कहानी | जयशंकर आठ बरसों से कोई मुकम्मिल कहानी लिखने का प्रयत्न करता रहा था, पर ज्यादातर नाकामी ही हाथ लगी। नाकामी भी मिली और सिर्फ लिखने का सुख भी नहीं मिला पाया। मेरी कुछ कहानियाँ पत्र-पत्रिकाओं में छपीं भी। एक-दो कहानियों पर मुझे … Read more

कोई उजली शुरुआत | जयशंकर

कोई उजली शुरुआत | जयशंकर

कोई उजली शुरुआत | जयशंकर – Koi Ujali Shuruat कोई उजली शुरुआत | जयशंकर इधर आपका ख्याल मेरे मन से जाता ही नहीं है। मैं आपके और सिर्फ आपके करीब रहना चाहता हूँ और आप कहीं भी नहीं है। आपको गुजरे हुए तीन महीने होने को आ रहे हैं। आप सर्दियों की एक रात में … Read more

इस बारिश में | जयशंकर

इस बारिश में | जयशंकर

इस बारिश में | जयशंकर – Is Baarish Mein इस बारिश में | जयशंकर बाहर बारिश के बरसते चले जाने, कभी बढ़ने, कभी थमने की आवाजें थी। जुलाई का दिन। सुबह का वक्त। अभी-अभी प्रभात ने अपने लिए चाय बनाई। चाय को मेज पर रखकर विलायत खान के दरबारी कान्हड़ा के कैसेट को प्लेयर पर … Read more

आसमानी नीली याद | जयशंकर

आसमानी नीली याद | जयशंकर

आसमानी नीली याद | जयशंकर – Aasamani Nili Yaad आसमानी नीली याद | जयशंकर वह नए बने हुए पुल की रेलिंग के पास खड़ी थी। वहाँ मद्धिम उजाला था। मुझे लगा कि कोई लड़की कुछ दूर तक के लिए मुझसे लिफ्ट माँग रही है। वह शहर का नया-नया इलाका था और वहाँ पब्लिक ट्रांसपोर्ट अनियमित … Read more

अर्थ | जयशंकर

अर्थ | जयशंकर

अर्थ | जयशंकर – Arth अर्थ | जयशंकर ‘आज आप क्लब नहीं जा रहे।’ ‘नहीं।’ ‘तबियत ठीक नहीं लग रही है?’ ‘कुछ थकान-सी है।’ ‘आपके लिए कॉफी बनाती हूँ।’ ‘अभी नहीं। गुनगुन कहाँ हैं?’ ‘पड़ोस में खेल रही है।’ ‘बाहर अँधेरा हो रहा है।’ शाम का आखिरी उजाला भी अपने आखिरी पड़ाव पर खड़ा था। … Read more