सूने समंदर और किनारे | हुश्न तवस्सुम निहाँ – Sune Samandar Aur Kinare सूने समंदर और किनारे | हुश्न तवस्सुम निहाँ सवा साँझ से ही उनके भीतर गर्म खुशबुएँ उठने लगती हैं। कमोवेश वैसे, जैसे झुटपुटे में रातरानी रह-रह के महकती जाए या जैसे पावस की रात में भीगे-भीगे नम स्पर्श। आठ साल की उम्र […]
Tag: Husn Tabassum Nihan
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ये बेवफाइयाँ | हुश्न तवस्सुम निहाँ
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बताओ ना अंकल | हुश्न तवस्सुम निहाँ
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नीला मेम साहब | हुश्न तवस्सुम निहाँ
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