Posted inPoems

सभ्यता के खड़ंजे पर

(बॉब डिलन के गीतों के लिए) और उस आदमी को तो मैं बिल्कुल नहीं जानताजो सिर पर बड़ा-सा पग्गड़ हाथों में कड़ों की पूरी बटालियनआठ उँगलियों में सोलह अँगूठीगले में लोहे की बीस मालाएँऔर हथेली में फँसाए एक हथौड़ीकभी भी कहीं भी नज़र आ जाता था जिसे देख भय से भौंकते थे कुत्तेलोगों के पास […]