सुकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अँधेरा है | फ़िराक़ गोरखपुरी सुकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अँधेरा है | फ़िराक़ गोरखपुरी सुकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अँधेरा हैसुख़न की शम्ओ जलाओ बहुत अँधेरा है चमक उठेंगी सियहबख्तियां जमाने कीनवा-ए-दर्द सुनाओ, बहुत अँधेरा है हर इक चराग से हर तीरगी नहीं मिटतीचराग़े-अश्क जलाओ बहुत अँधेरा है दयार-ए-ग़म में दिल-ए-बेक़रार छूट गयासम्भल के ढूंढने […]
Firaq Gorakhpuri
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