समझौता | दिव्या माथुर समझौता | दिव्या माथुर एक अदृष्टसमझौता हैपरिवार के बीचयदि मैंने ज़ुबान खोलीतो वे समवेत स्वर मेंमुझे झुठला देंगेझूठ कीओढ़नी में लिपटीमैं खुद से भीरहती हूँ छिपी।
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