वर्तमान : अतीत | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी

वर्तमान : अतीत | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी

वर्तमान : अतीत | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी वर्तमान : अतीत | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी कौन कहता हैजिंदगी में घटित नहीं होतेसंयोग ?जीवन में बराबर कुछ… न… कुछअनपेक्षित घटित होता रहता हैजो खरा नहीं उतरताविश्लेषण और तर्कशास्त्र की कसौटी परअगर आप उसकी कोईवस्तुनिष्ठ व्याख्या करना चाहें तोउसके सूत्र आपके हाथों सेफिसल-फिसल जाते हैं बहुत बारआपके जीवन मेंकुछ ऐसा … Read more

बच्चा | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी

बच्चा | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी

बच्चा | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी बच्चा | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी एक मेरा सालभर का बेटाचीर डालता हैकिताबेंफाड़ डालता है –अखबारक्या उसे मालूम है –व्यर्थ हैं ये किताबेंझूठे हैं ये अखबार दो नींद मेंमुस्कराता हैबच्चाएक मासूम तरल हँसी मेंखिल उठते हैंउसके होंठऔर हम डूब जाते हैंएक गहन अर्चा भाव मेंअपनी आत्मा के निकट तीन बच्चाअब बड़ा होने लगा … Read more

घर | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी

घर | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी

घर | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी घर | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी बहुत बार सोचा हैघर है क्या ?क्या यह घास, फूस, बाँसया कि ईंट, सीमेंट, कांक्रीट, संगमरकरसे बनी मात्र एक निर्मिति हैजड़, निष्प्राणअथवा एक जीवंत उपस्थिति हैजरा सेाचकर बताएँकि घर पदार्थवाची है या भाववाची ? जब हम कहते हैं या महसूस करते हैंकि घर की याद आ रही … Read more

कागज का टुकड़ा | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी

कागज का टुकड़ा | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी

कागज का टुकड़ा | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी कागज का टुकड़ा | ब्रजेन्द्र त्रिपाठी आपके हाथ मेंकागज का ये टुकड़ा हैऔर आप इसके साथ कुछ भी सलूक कर सकते हैं –        रच सकते हैं कोई सुंदर-सी कविता       उरेह सकते हैं मनमोहक छवि       बना सकते हैं ज्यामितीय आकृति लिख सकते हैं … Read more