सिर्फ ओसकण | बोरीस स्लूत्स्की
सिर्फ ओसकण | बोरीस स्लूत्स्की सिर्फ ओसकण | बोरीस स्लूत्स्की मैं सिर्फ एक ओसकण थाजानता था सूख जाऊँगागरमी के मौसम मेंजानता था कुछ नहीं कर पाऊँगा बचने के लिएपर सुबह होने से पहले हीमैं फिर वहीं हूँगाअपनी पहले की जगह पर। प्रकृति के चिरंतन भँवरजाल मेंअपनी भूमिका निभाते हुएमैंने स्वीकार की सारी पराजयविपदा के रूप … Read more