रिहाई | भालचंद्र जोशी

रिहाई | भालचंद्र जोशी

रिहाई | भालचंद्र जोशी – Rihaee रिहाई | भालचंद्र जोशी अब्दुल खान मास्टर साहब मस्जिद से बाहर आए तो रात गहरी हो चुकी थी। ऐसी मजहबी बैठकों में पहले वे कभी शामिल नहीं हुए थे। इधर कुछ समय से उनका मन बहुत आंदोलित था। गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों ने उन्हें भीतर … Read more

पिशाच | भालचंद्र जोशी

पिशाच | भालचंद्र जोशी

पिशाच | भालचंद्र जोशी – Pishach पिशाच | भालचंद्र जोशी – “दिन बुढ़ने को आया, घर चलें?” वे दोनों खेत की जिस मेड़ पर बैठे हैं, वह बाएँ जाकर पीछे दक्षिण दिशा में मुड़ गई थी। जिस जगह से मेड़ के पीछे पलटी थी, वहीं कोने पर आम का एक किशोर पेड़ है। वे दोनों … Read more

पालवा | भालचंद्र जोशी

पालवा | भालचंद्र जोशी

पालवा | भालचंद्र जोशी – Palwa पालवा | भालचंद्र जोशी बिन्नू ने आँखें खोलकर देखा, घर में सभी लोग सो रहे हैं। दोपहर के सन्नाटे में गली भी बेआवाज सोई पड़ी है। बिन्नू को दोपहर में सोना जरा भी अच्छा नहीं लगता है लेकिन माँ और दादी घर के काम निबटाकर सोती हैं तो उसे … Read more

पहाड़ों पर रात | भालचंद्र जोशी

पहाड़ों पर रात | भालचंद्र जोशी

पहाड़ों पर रात | भालचंद्र जोशी – Pahadon Par Raat पहाड़ों पर रात | भालचंद्र जोशी उसने अपने बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया था। और मैंने भी उसे कुरेदा नहीं था। हालाँकि मैं पूरी तरह खुल गया था। मेरे भीतर की सभी तहें खुल चुकी थीं। यह मेरी कमजोरी है और मैं इससे वाकिफ … Read more

अपवित्र कुंड | भालचंद्र जोशी

अपवित्र कुंड | भालचंद्र जोशी

अपवित्र कुंड | भालचंद्र जोशी – Apavitr Kund अपवित्र कुंड | भालचंद्र जोशी अर्थात् पवित्र बलात्कार का सहृदय प्रस्ताव आज आठवाँ दिन था। बेटी को सरकारी अस्पताल में पत्नी के सहारे छोड़ बूढ़ा माँगीलाल थाने के अहाते में बैठा था। उस दीवार के निकट जहाँ लिखा था, जनसेवा – देशभक्ति। आठ दिन पहले उसकी बेटी … Read more