पतझड़ के पीले पत्तों ने | भगवती चरण वर्मा पतझड़ के पीले पत्तों ने | भगवती चरण वर्मा पतझड़ के पीले पत्तों नेप्रिय देखा था मधुमास कभी;जो कहलाता है आज रुदन,वह कहलाया था हास कभी;आँखों के मोती बन-बनकरजो टूट चुके हैं अभी-अभीसच कहता हूँ, उन सपनों मेंभी था मुझको विश्वास कभी । आलोक दिया हँसकर […]
Tag: Bhagwati Charan Verma
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वसीयत | भगवती चरण वर्मा
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प्रायश्चित | भगवती चरण वर्मा
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