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गरजत-बरसत अध्याय 5 | असग़र वजाहत

गरजत-बरसत अध्याय 5 | असग़र वजाहत – Garajat-Barasat-Part-v गरजत-बरसत अध्याय 5 | असग़र वजाहत रात तीन बजे के आसपास अक्सर कोई जाना पहचाना आदमी आकर जगा देता है । किस रात कौन आयेगा? कौन जगायेगा? क्या कहेगा यह पता नहीं होता। जाग जाने के बाद रात के सन्नाटे और एक अनबूझी सी नीरवता में यादों […]