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रूढ़ियाँ | अनिल कुमार पुरोहित

रूढ़ियाँ | अनिल कुमार पुरोहित रूढ़ियाँ | अनिल कुमार पुरोहित सारे घर में घूमती रहतीनिःसंकोच, निर्भय –पैरों में बँधे घुँघरू,बजते रहते-छन, छन, छन।एक पल भी बैठती नहींपास मेरे चैन से –बीच कदमों से निकल भागती।खाना दो तो-कतरा जाती,जाने कुछ ढूँढ़ रही, घर में मेरेबस घूमती ही रहती बेचैन सीछन, छन, छन। अनायास ही कूद खिड़कीजाने […]