सीढ़ी | रेखा चमोली सीढ़ी | रेखा चमोली बहुत से लोग जोमेरे कंधों पर पाँव रखआगे बढ़ गएमिल जाते हैं कभी कभारकुछ दूर से हीकाट लेते हैं रास्ताकुछ नजदीक सेगुजरते हैंमुस्कुराते हुएमैं फिर बनती जाती हूँसीढ़ी।