हथेलियाँ | रेखा चमोली
हथेलियाँ | रेखा चमोली

हथेलियाँ | रेखा चमोली

हथेलियाँ | रेखा चमोली

वो रोज उठकर
अपनी हथेलियाँ देखती
उन्हें आँखों से लगातीं
जब खुश होती तब भी
जब दुखी या परेशान होती तब भी
मैंने पूछा, ऐसा क्यों करती हैं?
बोलीं, ”हथेलियों पर उसकी सूरत नजर आती है”।
मैने कहा, ”उसकी सूरत से यह दुनिया नहीं चलती”।
वे बोलीं, ”उसकी सूरत के बिना भी तो नहीं चलती ”।

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