श्रेष्ठ-मौन

उँगलियों के साथ खेलते हुए
मैं संवेदनात्‍मक ज्ञान रचता हूँ
जिस तरह नदी अपने प्रवाह के भीतर से
हम सबमें मौन रचती है।

उँगलियों के साथ खेलते हुए
मैं स्‍नेह-शब्‍द उकेरता हूँ
और उसी समय
तुम्‍हारे साथ मुस्‍कुराकर खिलता हूँ
जिससे शब्‍द
बदलने के काबिल हो सके
टुकड़ों में
श्रेष्‍ठ-मौन के लिए

Leave a Reply

%d bloggers like this: