साम्य | नरेश सक्सेना समुद्र के निर्जन विस्तार को देखकरवैसा ही डर लगता हैजैसा रेगिस्तान को देखकर समुद्र और रेगिस्तान में अजीब साम्य है दोनो ही होते हैं विशाललहरों से भरे हुए और दोनों हीभटके हुए आदमी को मारते हैंप्यासा।